जीवात्मा और परमात्मा का मिलन एक महायज्ञ है ।। - स्वामी जी महाराज.

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जीवात्मा और परमात्मा का मिलन एक महायज्ञ है ।।

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 जीवात्मा और परमात्मा का मिलन एक महायज्ञ है ।। Jeev Brahma Milan ek Mahayagya hai.

 Swami Ji Bhagwat Pravakta.

जय श्रीमन्नारायण,


मित्रों, परमात्मा से जीव का मिलन एक यज्ञ है । इस परमात्मा के मिलन रूपी यज्ञ में जीव अर्थात आत्मा यजमान है, श्रद्धा उसकी पत्नी है, शरीर यज्ञ वेदी है और फल है परमात्मा श्रीमन्नारायण से मिलन ।।


परमात्मा से मिलन एक महानतम यज्ञ है । जीवात्मा और परमात्मा का मिलन एक महायज्ञ है । इस यज्ञ का फल जीव की चित्तशुद्धि है अर५थत होती है । इस चित्तशुद्धि का फल है परमात्मा की प्राप्ति है ।।

 Bhagwat Pravakta - Swami Dhananjay Maharaj.


मित्रों, इस यज्ञ में जीव के इस शरीर की सभी इन्द्रियाँ यज्ञमण्डप के द्वार हैँ । इस यज्ञ मेँ काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि राक्षस बाधा करने के लिए आते है । इस यज्ञ मेँ विषय रुपी मारीच बाधा डालता है ।।


परन्तु इन इन्द्रियों रूपी द्वार पर राम-लक्ष्मण अर्थात सत्संग और त्याग को स्थापित करने से काम, क्रोध, वासना रुपी मारीच, सुबाहु विघ्न डालने नहीँ आ पायेँगे । कदाचित यदि आ भी गये तो उनका नाश हो जायेगा और वे टिक नहीं पाएंगे ।।

 Bhagwat Katha Vachak - Swami Ji Maharaj.


मित्रों, आँखो में, कानोँ मेँ, मुख मेँ, सभी इन्द्रियोँ के द्वार पर राम-लक्ष्मण रूपी सत्संग और त्याग को बैठाने से विषय रूपी मारीच विघ्न नही कर पायेँगे । नहीं तो ये विषय वासना रुपी मारीच एक बार प्रवेश कर जाये तो ये शीघ्र मरता नहीं है ।।


हम यदि अपनी प्रत्येक इन्द्रिय के द्वार पर ज्ञान रुपी राम और विवेक रुपी लक्ष्मण को अथवा सत्संग रूपी राम और त्याग रूपी लक्ष्मण तथा शब्द ब्रह्म एवं परब्रह्म को आसीन कर दें तो काम अर्थात मारीच यज्ञ में बाधा नहीँ डाल पायेगा ।।

 Swami Ji Maharaj.


मित्रों, इसके बिना मानव जीवन रूपी यज्ञ निर्विघ्न समाप्त नहीं हो पायेगा । माया मारीच को भगवान रामचन्द्रजी विवेक रूपी बाण से मारते हैँ । जिसका चिँतन मात्र करने से काम का नाश हो वही ईश्वर है ।।








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